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बी एल गौड़

अलीगढ़ (उ.प्र.) के कौमला गाँव में 12 जून, 1936 को जन्मे बी.एल. गौड़ ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.एससी. करने के उपरान्त रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग में 31 वर्षों तक अनवरत सेवाएँ दीं और वर्ष 1989 में सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। साहित्य, संस्कृति, समाज और दर्शन में हस्तक्षेप रखने वाले बी. एल. गौड़ की अब तक 13 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनमें 6 कविता संकलन, तीन मीडिया पर, तकनीकी ज्ञान और सिविल इंजीनियरिंग हिन्दी में दो, एक कहानी संग्रह और एक नाटक की कृति प्रकाशित हुई है। हाल ही में उनकी बहुचर्चित कृति ‘कैसे बने विश्वकर्मा’ हिन्दी में सिविल इंजीनियरिंग की रोज़गारपरक पुस्तकों में सम्मिलित है।

आपको न्यूज़ मेकर्स ब्रॉडकास्टिंग एंड कम्युनिकेशन मुम्बई द्वारा ‘लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड 2018’, पहला काशी इंडियन इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल अवार्ड, उद्भव शिखर सम्मान, न्यूज़पेपर एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया द्वारा साहित्यिक सम्पादन एवं लाइफ़ टाइम अचीवमेंट सम्मान, ग्लोबल फेस्टिवल ऑफ़ जर्नलिज़्म द्वारा लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड तथा हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा साहित्यश्री सम्मान से अलंकृत किया जा चुका है।

‘नींव से नाली तक’ नामक तकनीकी ज्ञान की पुस्तक पर उत्तराखण्ड के तत्कालीन मुख्यमन्त्री और भारत के शिक्षा मन्त्री रहे डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक तथा तत्कालीन राज्यपाल मार्गेट अल्वा द्वारा भी आप सम्मानित हो चुके हैं।

वर्तमान में लेखन के साथ-साथ वर्ष 2005 से निरन्तर प्रकाशित समाचार पत्र ‘द गौड़ सन्स टाइम्स’ के सम्पादक के रूप में आप कार्य कर रहे हैं।

अर्ध-सत्य और अन्य कविताएँ

बी एल गौड़

मूल्य: Rs. 450

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